ऑप्शन ग्रीक्स Option Greeks
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अगर आप ऑप्शन ट्रेडिंग करते हैं, तो ऑप्शन ट्रेडिंग करने से पहले ऑप्शन ग्रीक्स के बारे में जानना बहुत जरूरी है, क्योंकि ऑप्शन ग्रीक्स के चार फैक्टर होते हैं, जो कि ऑप्शन में होने वाले बदलाव को आसानी से बताते हैं। जिसकी सहायता से ऑप्शन ट्रेडिंग करने में आसानी हो जाती है और हम किसी भी ऑप्शन को खरीदने के लिए और सही टाइम में बेचने के लिए मदद मिलती है।
इंडेक्स (INDEX NIFTY OR BANKNIFTY) में या किसी भी स्टॉक में बदलाव होने पर उस स्टॉक के या इंडेक्स के कॉल और पुट में बदलाव होता है, जो कि ऑप्शन ग्रीक्स का बहुत ही महत्वपूर्ण रोल होता है।
तो आइए ऑप्शन ग्रीक्स के बारे में एक-एक करके चारों फैक्टर को समझते हैं।
डेल्टा (DELTA)
गामा (GAMMA)
थीटा (THETA)
वेगा (VEGA)
डेल्टा (DELTA)
किसी भी स्टॉक या इंडेक्स के बदलाव होने पर ऑप्शन के कीमत में भी बदलाव होता है, जिसमें डेल्टा का बहुत महत्वपूर्ण योगदान होता है। डेल्टा के लिए कुछ महत्वपूर्ण बातें जो आपको हमेशा याद रखना होता है।
1. कॉल ऑप्शन के लिए डेल्टा की वैल्यू हमेशा 0 से 1 होती है, जो कि पॉजिटिव में होता है, जीरो से नेगेटिव नहीं हो सकता है और वैल्यू एक से ज्यादा नहीं हो सकती है, कॉल ऑप्शन की वैल्यू हमेशा पॉजिटिव में ही होता है। क्योंकि कॉल ऑप्शन मार्केट के नीचे से ऊपर की ओर जाने पर ऑप्शन की कीमत बढ़ती है।
2. पुट ऑप्शन के लिए डेल्टा की वैल्यू हमेशा -0 से -1 होती है, जिसकी वैल्यू हमेशा नेगेटिव में ही होती है, कभी भी पॉजिटिव नहीं हो सकता है। -0 से -1 होती है, क्योंकि पुट ऑप्शन मार्केट के ऊपर से नीचे गिरने पर ही ऑप्शन की कीमत बढ़ती है।
3. किसी भी इंडेक्स या स्टॉक में AT THE MONEY ऑप्शन के लिए डेल्टा की वैल्यू हमेशा 0.45 से 0.55 के लगभग होती है। IN THE MONEY ऑप्शन के लिए डेल्टा की वैल्यू हमेशा 0.50 से ऊपर ही होता है। OUT THE MONEY ऑप्शन के लिए डेल्टा की वैल्यू हमेशा 0.45 से कम होता है।
REFERENCE BY SENSIBULL (CREDIT GOES TO SENSIBULL)
ऊपर दिए गए चार्ट में आप देख सकते हैं, जो कि सेंसिबुल से लिया गया है। निफ़्टी इंडेक्स का डाटा है, जिसमें हर एक स्ट्राइक के डेल्टा की वैल्यू बताई गई है। जो कि कॉल ऑप्शन के साइड में हर एक स्ट्राइक का डेल्टा वैल्यू अलग-अलग होती है। जैसा कि ऊपर बताया गया है, इन द मनी, एट द मनी, आउट द मनी के अनुसार वैल्यू ज्यादा से कम होती जाती है, उसी प्रकार से पुट ऑप्शन का भी डाटा दिखाया गया है। पुट ऑप्शन में जब मार्केट ऊपर से नीचे की ओर गिरावट में होती है, तो पुट ऑप्शन की कीमत बढ़ती है। जिसकी वैल्यू हमेशा नेगेटिव में होती है, इसमें भी इन द मनी एट द मनी और आउट द मनी के अनुसार सभी स्ट्राइक का अलग-अलग वैल्यू होती हैं।
उदाहरण के लिए हम कोई एक स्ट्राइक ले लेते हैं और साथ में उस स्ट्राइक का एट द मनी प्राइस भी ले लेते हैं। कैलकुलेशन करके देखते हैं कि, किस प्रकार से इंडेक्स के बदलने पर ऑप्शन प्राइस भी बदल जाता है।
इंडेक्स में एट द मनी कॉल ऑप्शन के लिए 17500 है, जिसमें डेल्टा की वैल्यू 0.55 है, अगर निफ्टी का इंडेक्स 1 पॉइंट बदलाव होता है, तो 0.55 का बदलाव उस स्ट्राइक के कॉल ऑप्शन में भी बदलाव होगा। ऐसा करते हुए अगर निफ्टी इंडेक्स में 10 पॉइंट का बदलाव होता है। जिसमें निफ़्टी 17500 से 17560 पहुंच जाता है, तो यहां पर कैलकुलेशन कुछ इस प्रकार से होगा।
MOVEMENT (10) × (0.55) DELTA VALUE = 5.55
उसी प्रकार से पुट ऑप्शन के लिए 17550 का पुट ऑप्शन का डेल्टा नेगेटिव 0.50 है। अगर यहां पर निफ्टी में 1 पॉइंट की गिरावट होती है, तो उस 17550 के पुट ऑप्शन में 0.50 का बदलाव आएगा।
अगर ऐसा करते हुए निफ्टी इंडेक्स में 10 पॉइंट की गिरावट होती है, तो उसका कैलकुलेशन कुछ इस प्रकार से होगा।
MOVEMENT (10) × (-0.50) DELTA VALUE = -5.50
यहां पर एक बात और समझने वाली है, की निफ्टी में 40 से 50 पॉइंट का बदलाव होता है, तो डेल्टा की वैल्यू में भी बदलाव होगा। जैसा कि 17500 के कॉल ऑप्शन डेल्टा की वैल्यू 0.55 है और 17550 का पुट ऑप्शन की वैल्यू नेगेटिव 0.50 है, तो वह वैल्यू वही नहीं रहेगी। अगर निफ्टी ऊपर की ओर जाता है तो उस 17500 का कॉल ऑप्शन इन द मनी हो जाएगा। वहां पर डेल्टा की वैल्यू 0.55 से बढ़कर 0.60 या तो निफ्टी के और ज्यादा बढ़ने पर और ज्यादा बढ़त होगी। जिससे डेल्टा की वैल्यू बढ़ता ही जाएगा और डीप इन द मनी होने पर ज्यादा से ज्यादा इसकी वैल्यू 1 तक होगी, उसने ज्यादा नहीं होगा। डेल्टा की वैल्यू एक होने पर निफ्टी अगर 1 पॉइंट का बदलाव करता है, तो 17500 कॉल ऑप्शन में भी 1 पॉइंट का बदलाव आएगा, उसी प्रकार से मार्केट की गिरावट की स्थिति में पुट ऑप्शन के लिए भी यही तरीका काम करेगा।
इसलिए ऑप्शन खरीदारी करने वाले को हमेशा एट द मनी ऑप्शन या तो इन द मनी ऑप्शन खरीदना चाहिए। ताकि इंडेक्स के बदलाव होने पर उसके ऑप्शन में भी ज्यादा बदलाव आए और उससे हम बड़ा प्रॉफिट कमाया जा सकता है।
गामा (GAMMA)
गामा, डेल्टा में होने वाले बदलाव को मापता है, किसी भी स्टॉक या इंडेक्स में बदलाव होने पर गामा भी लगातार बदलते रहता है, जो कि स्टॉक या इंडेक्स में वह बदलाव के कारण डेल्टा भी बदल जाता है, उसे मापने का काम करता है।
गामा किसी इंडेक्स के स्ट्राइक के प्रीमियम में डेल्टा की वैल्यू कितना बदलेगा, यह भी गामा के द्वारा पता लगाया जा सकता है।
जैसा कि नीचे चार्ट में NIFTY का स्ट्राइक लिया गया है, जिसमें कॉल और पुट दोनों की वैल्यू दिखाई गई है।
जिसमें से हम कॉल ऑप्शन का उदाहरण ले लेते हैं, ताकि हम कैलकुलेशन कर पाए।
NIFTY 17500CE की कीमत ₹187.25
DELTA की वैल्यू 0.55
GAMMA की वैल्यू 0.001
और निफ्टी का प्राइस 17500 है, निफ्टी अगर 50 पॉइंट ऊपर चला जाता है, तो थीटा में कैलकुलेशन कुछ इस प्रकार से होगा।
NIFTY SPOT PRICE 17500 + 50 ( बदलाव)= 17550 (NIFTY नया SPOT PRICE)
DELTA VALUE (0.55) × (50) NIFTY बदलाव POINTS= 27.5
NIFTY 17500CE पुराना कीमत 187.25, 50 POINT बदलाव के बाद नया कीमत होगा 187.25+27.50= 214.75
गामा का कैलकुलेशन
GAMMA की वैल्यू 0.001 है, निफ़्टी के 50 पॉइंट का बदलाव होने पर गामा की वैल्यू से बदलाव हुए पॉइंट का गुणा करेंगे।
नया गामा वैल्यू = पुराना गामा की वैल्यू (0.001) × (50) NIFTY बदलाव POINTS= 0.05
तो इस प्रकार से निफ्टी के 50 पॉइंट बदलाव होने पर नया गामा की वैल्यू 0.05 होगी, जिसका उपयोग डेल्टा के पुरानी वैल्यू में जोड़ देंगे।
अतः हम यह कह सकते हैं, कि निफ्टी के 50 पॉइंट के बदलाव होने के पहले जो डेल्टा की वैल्यू 0.55 थी,
अब वह डाटा की नया वैल्यू= पुराना डाटा की वैल्यू (0.55) +50 पॉइंट बदलाव के बाद गामा की नई वैल्यू (0.05)= 0.60 इस प्रकार से डेल्टा की नई वैल्यू बन गया।
0.60 नया डेल्टा की वैल्यू है, अब यहां से निफ्टी के बदलाव होने पर हर एक पॉइंट पर 0.60 का बदलाव होगा।
तो इस प्रकार से गामा डेल्टा में हुए बदलाव को मापता है, जहां पर 50 पॉइंट के बदलाव होने पर 0.05 का डेल्टा में बदलाव हुआ है।
थीटा (THETA)
थीटा किसी भी स्टॉक या इंडेक्स के ऑप्शन को एक्सपायरी होने में कितना टाइम बचा हुआ है, यह बताने की कोशिश करता है, थीटा ऑप्शन में होने वाले टाइम डीके (TIME DECAY) को बताता है। थीटा की वैल्यू कॉल ऑप्शन और पुट ऑप्शन दोनों के लिए नेगेटिव ही होता है, क्योंकि ऑप्शन को एक्सपायरी होने के लिए जो टाइम दिया जाता है, वह धीरे-धीरे समाप्त होता है।
थीटा ऑप्शन खरीदी करने वालों के लिए शत्रु होता है, क्योंकि समय के अनुसार थीटा की वैल्यू कम होते जाती है। ऑप्शन खरीदी करने वाले को ऑप्शन खरीदने के बाद मार्केट को उनके अनुसार ही चलने पर मुनाफा कमाया जा सकता है। अगर मार्केट की दिशा उल्टी हो या तो मार्केट में बदलाव ना हो तो दोनों ही स्थिति में नुकसान उठाना पड़ता है।
थीटा ऑप्शन बिकवाली करने वालों के लिए मित्र होता है, जहां पर समय के अनुसार थीटा की वैल्यू कम होते जाती है, और बिकवाली करने वाले को इंडेक्स या स्टॉक में बदलाव ना होने पर भी फायदा होता है। ऑप्शन बिकवाली करने वाले को ऑप्शन बेचने के बाद, उनके अनुसार मार्केट चलने पर प्रॉफिट कमाया जा सकता है, लेकिन अगर मार्केट में बदलाव ना हो, फिर भी थीटा की वैल्यू कम होती है, तो भी मुनाफा कमाया जा सकता है। सिर्फ मार्केट अपने अनुसार बनाए हुए पोजीशन के विपरीत चला जाए तभी नुकसान हो सकता है।
ऊपर दिए हुए चित्र में आप देख सकते हैं 17500CE, 17550CE & 17550PE, 17600PE की वैल्यू कॉल और पुट दोनों में ही नेगेटिव 14 है, जो यह बताता है कि उस स्ट्राइक के ऑप्शन प्रीमियम में हर एक दिन, कितने दर से TIME DECAY हो रहा है।
थीटा समझने के पहले कुछ महत्वपूर्ण बातें समझ लेते हैं, ताकि थीटा अच्छी तरह से समझ में आ जाए।
- किसी भी इंडेक्स या स्टॉक के ऑप्शन का प्रीमियम कैसे बनता है?
OPTION PREMIUM = INTRINSIC VALUE + TIME DECAY
ऑप्शन की प्रीमियम के लिए INTRINSIC VALUE और बचे हुए TIME DECAY को जोड़कर बनाया जाता है।
आइए इसे संक्षिप्त रूप में समझते हैं।
जैसा कि सेंसिबुल के चार्ट में दिखाया गया है, निफ्टी का SPOT PRICE 17500 और NIFTY 17400CE की वैल्यू ₹250 है। जहां पर निफ़्टी 17400 का स्ट्राइक प्राइस निफ्टी के स्पोर्ट प्राइस से 100 पॉइंट पर है तो हम कह सकते हैं, कि 100 (17500-17400) पॉइंट हमारा INTRINSIC VALUE है, बाकी बचा हुआ ₹150 रुपए TIME DECAY है।
- निफ़्टी और बैंक निफ़्टी के ऑप्शन में WEEKLY & MONTHLY एक्सपायरी होता है, जबकि स्टॉक के ऑप्शन में MONTHLY एक्सपायरी होता है। जो कि WEEKLY एक्सपायरी में प्रत्येक गुरुवार को ऑप्शन एक्सपायरी हो जाता है और शुक्रवार से नया एक्सपायरी चालू हो जाता है।
शुक्रवार को ऑप्शन की प्रीमियम की प्राइस ज्यादा होगी, क्योंकि यहां पर उस ऑप्शन को एक्सपायरी होने में ज्यादा टाइम बाकी है। जैसा-जैसा टाइम कम होता जाएगा, ऑप्शन की प्रीमियम की प्राइस भी कम होती जाएगी, अगर निफ्टी में ज्यादा बदलाव नहीं होता है तो।
सोमवार को अगर निफ्टी में ज्यादा बदलाव नहीं होता है, तो टाइम TIME DECAY का वैल्यू कम हो जाएगा, जिसकी वजह से ऑप्शन की प्रीमियम प्राइस भी कम हो जाएगी। इसी तरह से अगर ऊपर दिए गए उदाहरण में 17400 का प्राइस अगर निफ्टी में बदलाव नहीं होता है, 17500 के आसपास होता है तो, सिर्फ INTRINSIC VALUE हमें मिलेगी, जिसकी वैल्यू सिर्फ ₹100 होगी।
दूसरा उदाहरण NIFTY 17500CE का ले लेते हैं, जहां पर NIFTY 17500CE का वैल्यू ₹187.25 है, जिसमें INTRINSIC VALUE जीरो है, और ₹187.25 पूरा TIME DECAY है, तो अगर यहां पर 17500 के ऊपर जितने पॉइंट पॉजिटिव में निफ्टी बंद होगा, वहां पर हमें उसकी INTRINSIC VALUE के पैसे मिलेंगे। अगर 17500 के नीचे बंद होता है, तो TIME DECAY VALUE एक्सपायरी में जीरो हो जाएगा।
तीसरा उदाहरण NIFTY 17800CE का ले लेते हैं, जहां पर NIFTY 17800CE का वैल्यू Rs 69 है, जिसमें INTRINSIC VALUE जीरो है, सिर्फ TIME DECAY Rs 69 है, जहां पर एक्सपायरी के दिन तक अगर निफ्टी 17800 के ऊपर नहीं जाता है, तो NIFTY17800CE का प्रीमियम एक्सपायरी के दिन जीरो हो जाएगा।
उसी तरह से अगर MONTHLY एक्सपायरी की बात करें तो, MONTHLY एक्सपायरी होने में 1 महीने का समय होता है, जो कि उस महीने की अंतिम गुरुवार को एक्सपायरी होगा।अगर ऑप्शन को एक्सपायरी होने में 1 महीने का समय है, तो ऑप्शन की कीमत ज्यादा होगी। क्योंकि ऑप्शन को एक्सपायरी होने में पर्याप्त समय है, अगर ऑप्शन को एक्सपायरी होने में कम समय है, तो ऑप्शन की कीमत कम होगी क्योंकि TIME DECAY का आधा समय निकल चुका होता है। अगर ऑप्शन को एक्सपायरी होने में 1 या 2 दिन ही बाकी है, तो ऑप्शन की कीमत बहुत कम होगी, क्योंकि उसमें TIME DECAY लगभग 0 के बराबर होगी और सिर्फ INTRINSIC VALUE ही बचा होगा।
- आइए इसे आसान भाषा में समझते हैं।
जैसा कि ऊपर NIFTY 17500CE जो कि 22th Sep 2022 की एक्सपायरी का ऑप्शन प्रीमियम है। जिसकी कीमत ₹187 हैं, जिसे एक्सपायरी होने में 5 दिन का समय बाकी है। इसलिए इसकी प्रीमियम की कीमत केवल ₹187 हैं। उसके बगल में NIFTY17500CE जो कि 29th Sep 2022 की एक्सपायरी का ऑप्शन प्रीमियम है, जिसकी कीमत ₹293 है। यहां पर आप देख सकते हैं, कि दोनों ही ऑप्शन निफ्टी के स्ट्राइक 17500CE का ही है। लेकिन दोनों की ऑप्शन प्रीमियम अलग-अलग है, क्योंकि यहां पर एक्सपायरी का फर्क है। ₹293 वाली ऑप्शन प्रीमियम के पास एक्सपायरी होने में ज्यादा समय है। इस प्रकार से हम कह सकते हैं (TIME IS MONEY) टाइम इज मनी।
वेगा (VEGA)
वेगा का कार्य बाजार में कितनी वोलैटिलिटी है, उनके आधार पर आप्शन प्रीमियम में आ रहे बदलाव को दर्शाने के कार्य वेगा ग्रीक करता है। जब मार्केट में वोलैटिलिटी ज्यादा होती है, तो ऑप्शन के प्रीमियम में भी तेज गिरावट या तेजी देखने को मिलती है, वेगा ऑप्शन के प्रीमियम में हो रही तेजी और गिरावट को दर्शाता है, इसमें ध्यान देने वाली बात यह है, कि हाई वोलैटिलिटी ऑप्शन प्रीमियम को अधिक महंगा बनती है। क्योंकि वोलैटिलिटी की वजह से स्ट्राइक्स के प्रीमियम में बहुत तेजी से बदलाव होता है।आमतौर पर वोलैटिलिटी जब कम होती है, तो ऑप्शन राइटर (OPTION WRITER) को ज्यादा फायदा होता है, इसके विपरीत ऑप्शन खरीदने में होता है। चूंकि कीमतें बढ़ने पर लॉन्ग ऑप्शन (OPTION BUYER) ट्रेडर्स को फायदा होता है, और शॉर्ट ऑप्शन (SHORT SELLER) ट्रेडर्स को कीमतों में गिरावट से फायदा होता है, यही कारण है कि लॉन्ग ऑप्शन में पॉजिटिव वेगा होता है, जबकि शॉर्ट ऑप्शन में नेगेटिव वेगा होता है।
उदाहरण के लिए, ऊपर दिखाए गए चित्र में 17500 स्ट्राइक का मूल्य ₹187.25 है, वोलैटिलिटी (VOLATILITY) 18.50 है और वेगा 9 है।
अब मान लें कि, जब वोलैटिलिटी (VOLATILITY) 18.50 से 21.5 तक बढ़ जाती है, मतलब की 3 पॉइंट वोलैटिलिटी (VOLATILITY) में वृद्धि है, तो अब ऑप्शन का मूल्य 3 x 9 = ₹27 तक बढ़ जाएगा, अर्थात प्रीमियम =187+27 ₹214 हो जाएगी।