How to Earn Money From the Market

 

शेयर मार्केट से दो तरह से मुनाफा कमाया जा सकता हैं।

1  शेयर मार्केट से ट्रेडिंग करके मुनाफा कमाया जा सकता हैं।

2  शेयर मार्केट में इन्वेस्टमेंट करके मुनाफा कमाया जा सकता हैं। 

 

 

तो आइए समझते हैं, ट्रेडिंग और इन्वेस्टमेंट दोनों में क्या फर्क होता है और साथ ही साथ ट्रेडिंग के बारे में और इन्वेस्टिंग के बारे में हम संक्षिप्त रूप से समझेंगे।

 

 

ट्रेडिंग (Trading)

ट्रेडिंग करने के लिए ट्रेडर को इंट्राडे ट्रेड या तो स्विंग ट्रेडिंग करके पैसा कमाया जा सकता हैं।

 

इंट्राडे (Intraday Trade)

 

ट्रेडिंग ट्रेडिंग वह ट्रेड होते हैं, जहां पर मार्केट के ओपनिंग होने के बाद 9:15 से हम  शेयर को खरीद कर उसी दिन बेच देते हैं, या तो मार्केट गिरावट की स्थिति में हो तो 9:15 के बाद शेयर को पहले बेच देते हैं, उसके बाद  शेयर की गिरावट होने पर निचले स्तर पर खरीद कर प्रॉफिट कमा लेते हैं। 

अर्थात कहने का मतलब यह है हम उस शेयर को उसी दिन खरीद कर या बेच कर मुनाफा कमाते हैं, इसे आसान सी भाषा में इंट्राडे कहा जाता हैं। जहां पर हमें ट्रेड करने के लिए ब्रोकर 5 गुना मार्जिन सुविधा प्रदान  करता हैं। जिसकी सहायता से थोड़े से पैसे को मार्जिन के रूप में उपयोग करके बड़े अमाउंट से ट्रेड कर पाते हैं, तो हमारा जो प्रॉफिट है वह भी उसी हिसाब से बनता है या तो नुकसान होता है तो भी उसी हिसाब से बनता हैं। मतलब की हम 5 गुना प्रॉफिट के भी हिस्सेदार होते हैं, और नुकसान होने पर 5 गुना नुकसान के भी हिस्सेदार होते हैं।

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स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) .

 

 

स्विंग ट्रेडिंग में हम शेयर को दो से 3 दिनों के लिए  खरीदते हैं, और मुनाफा आने पर हम उसे बेच देते हैं, इस तरह से जब भी कोई शेयर मार्केट की गिरावट की स्थिति में अपने लेवल से नीचे आ जाता हैं, तो वहां पर शेयर  ऊपर  की ओर स्विंग होने पर  शेयर को  खरीदते हैं, और जैसे-जैसे 2 से 3 दिनों में मुनाफा मिलने लगता हैं, तो हम वहां पर शेयर को बेचकर बहुत ही कम समय में प्रॉफिट कमाते हैं, तो इस तरह से स्विंग ट्रेडिंग काम करता हैं।

 

 

इन्वेस्टिंग (Investing) 

इन्वेस्टिंग भी दो प्रकार के होते हैं, जहां पर हम स्टॉक का फंडामेंटल एनालिसिस करते हैं और उसकी सहायता से इन्वेस्टिंग करते हैं, तो आइए संक्षिप्त रूप में समझते हैं।

 

शॉर्ट टर्म इन्वेस्टमेंट (Short term Investment) 

इन्वेस्टिंग के अंदर हम किसी शेयर को निचले स्तर पर खरीदते हैं, और उसे कुछ महीनों के लिए मुनाफा आने के लिए इंतजार करते हैं, और जैसे मुनाफा मिल जाता है 5 परसेंट, 7 परसेंट, 10 परसेंट तो वहां पर हम उसे बेचकर प्रॉफिट कमाते हैं। इस तरह से शॉर्ट टर्म इन्वेस्टमेंट काम करता हैं, जहां पर इसकी अवधि 1 साल से कम की होती हैं, जिसमें डिविडेंड यह बोनस की उम्मीद हम नहीं करते हैं।

 

इन्वेस्टिंग के अंदर हम वह सभी स्टॉक का चयन करते हैं,  जिसमें ग्रोथ ज्यादा हो और डिविडेंड यील्ड कम हो, 

 

लोंग टर्म इन्वेस्टमेंट (Long term Investment)

लोंग टर्म इन्वेस्टमेंट के अंदर हम  हम शेयर के बारे में गहन अध्ययन करते हैं जिसमें पूरा फंडामेंटल एनालिसिस होता हैं, जैसा कि कंपनी का ग्रोथ रेट कितना हैं? कंपनी कितने कर्ज पर हैं? कंपनी का मैनेजमेंट कैसा हैं? कंपनी का बिजनेस क्या हैं? और आने वाले समय पर कंपनी कुछ नया क्या कर पाएगी?  जिससे कंपनी को ज्यादा मुनाफा होगा। कंपनी डिविडेंड कितना देती है? कंपनी का डिविडेंड कितना है? इस तरह से हम फंडामेंटल एनालिसिस करने के बाद उस कंपनी पर long-term के लिए इन्वेस्टमेंट करते हैं। जिसकी अवधि लगभग 1 साल से ऊपर की होती हैं। लोंग टर्म इन्वेस्टमेंट के अंदर हम डिविडेंड और साथ ही साथ बोनस की भी उम्मीद करते हैं। और यह भी उम्मीद करते हैं कि आने वाले  3 से 4 साल में कंपनी का शेयर की कीमत भी 40 से 50 वर्ष बढ़ जाएगी, तो इस तरह से इन्वेस्टमेंट करने का तरीका होता हैं।

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