All 12 Candlestick Chart Patterns in the Stock Market

 

Table of Contents

  • सपोर्ट (SUPPORT)
  •  रेजिस्टेंस (RESISTANCE)
  • अपट्रेंड और डाउनट्रेंड (UPTREND & DOWNTREND)
    • अपट्रेंड (UPTREND)
    • डाउनट्रेंड (DOWNTREND)
  • बेयरिश फ्लैग पैटर्न (BEARISH FLAG PATTERN)
  • बुलिश एनगल्फिंग पैटर्न  (BULLISH ENGULFING PATTERN)
  • बुलिश फ्लैग पैटर्न (BULLISH FLAG PATTERN)
  • बेयरिश फ्लैग पैटर्न (BEARISH FLAG PATTERN)
  • बेयरिश एनगल्फिंग पैटर्न (BEARISH ENGULFING PATTERN)
  • बुलिश हरामी पैटर्न  (BULLISH HARAMI PATTERN)
  • बेयरिश हरामी पैटर्न (BEARISH HARAMI PATTERN)
  • डबल टॉप पैटर्न  (DOUBLE TOP PATTERN)
  • डबल बॉटम पैटर्न (DOUBLE BOTTOM PATTERN)
  •  ट्रिपल टॉप पैटर्न (TRIPLE TOP PATTERN)
  •   ट्रिपल बॉटम पैटर्न (TRIPLE BOTTOM PATTERN)

सपोर्ट (SUPPORT)

 

सपोर्ट  SUPPORT नाम से ही पता चलता है की सहारा देना, जिससे वह स्टॉक गिरना बंद हो जाए, जहां पर स्टॉक गिरावट की स्थिति में आकर रुक जाए और उस लेवल में उस स्टॉक की खरीदारी के लिए मांग बढ़ जाता है, अतः जहां से स्टॉक गिरना बंद हो जाता है, उस लेवल को सपोर्ट जोन कहते हैं।

सपोर्ट जोन किसी भी स्टॉक के करंट मार्केट प्राइस (CMP) से नीचे होता है।

 

किसी भी स्टॉक में  सपोर्ट जोन खोजने के लिए समय अवधि 1DAY  करने पर ज्यादा अच्छे से समझ में आता है, जैसा कि ऊपर दिए गए चार्ट में आप देख सकते हैं, एक्सिस बैंक का चार्ट है, जो कि 1DAY  कैंडल पर है।

 

और स्टॉक के नीचे साइड में   5 गोले बनाया गया है, जो कि एक्सिस बैंक के सपोर्ट जोन को बताता है, की जब भी स्टॉक 625 से 650 के बीच में आता है, तो एक्सिस बैंक स्टॉक की मांग बढ़ जाती है, और खरीदारी करने वाले इन्वेस्टर खरीददारी करना प्रारंभ कर देते हैं, जिसकी वजह से स्टॉक  सपोर्ट जॉन से ऊपर की ओर जाने लगता है।

 

1 पहले वाले गोले में  बुलिश इनवर्टेड हैमर पैटर्न है, जो कि किसी स्टॉक के नीचे साइड में खरीदारी के लिए संकेत देता है, तो यहां पर सपोर्ट जोन में इनवर्टेड हैमर बनने पर खरीदारी का अच्छा सिग्नल मिल गया, जिसकी वजह से स्टॉक में मांग बढ़ गई और स्टॉक ऊपर चला गया।

 

2  तीसरे वाले गोले में ठीक सपोर्ट जून में आने पर एक्सिस बैंक स्टॉक में हैमर पैटर्न बना, जो कि एक बुलिस रिवर्सल पैटर्न होता है, और वहां से स्टॉक में मांग बढ़ गई और खरीदारी होने पर स्टॉक ऊपर चला गया।

 

3  चौथे वाले गोले में  सपोर्ट जोन मॉर्निंग स्टार कैंडलेस्टिक पेटर्न बना है, जो कि बुलिस  रिवर्सल पैटर्न होता है, और वहां पर स्टॉक की मांग बढ़ गई और खरीदारी होने पर स्टॉक ऊपर चला गया।

 

( चार्ट पेटर्न पढ़ने से पहले एक बार कैंडलेस्टिक पेटर्न जरूर पढ़ें ताकि चार्ट पेटर्न अच्छे से समझ आए)

अतः इस प्रकार से किसी भी स्टॉक का सपोर्ट जोन निकाल कर उस स्टॉक में बुलिस रिवर्सल सिग्नल मिलने पर खरीदारी किया जा सकता है और बहुत कम समय में बहुत अच्छा प्रॉफिट, शेयर मार्केट से कमाया जा सकता है।

 रेजिस्टेंस (RESISTANCE)

रेजिस्टेंस  जोन  नाम से ही पता चल रहा है कि  रुकावट पैदा करना या तो आगे ना जाने देना।

शेयर मार्केट के  किसी भी स्टॉक को ऊपर जाने से रोकना या तो रुकावट पैदा करना, जिसकी वजह से वह स्टॉक ऊपर नहीं जा पाता है या तो  रेजिस्टेंस लेवल में पहुंचने पर इन्वेस्टर बिकवाली प्रारंभ कर देते हैं, जिसकी वजह से उस स्टॉक में गिरावट आ जाती है और वह स्टॉक रेजिस्टेंस लेवल को पार नहीं कर पाता है, जिसे रेजिस्टेंस जोन कहा जाता है।resistance

 

स्टॉक के रजिस्टेंस जॉन पर पहुंचते ही उस स्टॉक की सप्लाई ज्यादा हो जाती है, और स्टॉक में बिकवाली प्रारंभ हो जाती है, जिसे शेयर मार्केट की भाषा में सप्लाई जोन भी कहा जाता है। रजिस्टेंस जोन हमेशा स्टॉक के करंट मार्केट प्राइस (CMP) से ऊपर होता है।

 

 

किसी भी स्टॉक में  सपोर्ट जोन खोजने के लिए समय अवधि 1DAY  करने पर ज्यादा अच्छे से समझ में आता है जैसा कि ऊपर दिए गए चार्ट में आप देख सकते हैं एक्सिस बैंक का चार्ट है, जो कि 1DAY  कैंडल पर है।

 

एक्सिस बैंक का स्टॉक लिया गया है जिसमें सपोर्ट जोन पर चार गोला बनाए गए हैं, जो कि रेजिस्टेंस जोन को बताता है, जब भी एक्सिस बैंक का स्टॉक 810 से 830 के लेवल पर पहुंचता है, तो एक्सिस बैंक के स्टॉक की मांग कम हो जाती है, और आपूर्ति बढ़ जाती है। जिससे इन्वेस्टर बिकवाली करने लगते हैं, और स्टॉक में गिरावट आ जाती है, अतः जिस लेवल से स्टॉप बार-बार गिरने लगे, उसे रेजिस्टेंस जोन कहा जाता है।

 

1 पहले वाले गोले में रजिस्टेंस जॉन के पास पहुंचने पर शूटिंग स्टार कैंडल बनाया, जो कि एक बेयरिश रिवर्सल कैंडल होता है, जहां से स्टॉक में गिरावट चालू हो जाती है, अतः स्टॉक रेजिस्टेंस जोन पर जाने पर अगर बेयरिश रिवर्सल कैंडल मिले, तो वहां पर उस स्टॉक में बिकवाली करना चाहिए।

2 बाकी दूसरे और तीसरे गोले में भी स्टॉक रजिस्टेंस जोन पर पहुंचने के बाद उसी लेवल से वापस आ गया। अतः इस प्रकार से जब भी स्टॉक रजिस्टेंस लेवल पर पहुंच जाए, तो उस स्टॉक में खरीदारी करने से बचना चाहिए और रजिस्टेंस लेवल का स्टॉपलॉस लगाकर उस स्टॉक में बिकवाली करना चाहिए।

सपोर्ट और रेजिस्टेंस का उपयोग करके स्टॉक में कब खरीदारी, बिकवाली और टारगेट स्टॉप लॉस क्या होना चाहिए?

 

स्टॉक जब भी गिरावट की स्थिति में हो तो सपोर्ट जोन तक आने का इंतजार करना चाहिए और सपोर्ट जोन में पहुंच जाने पर पूरे मार्केट की स्थिति का अनुमान लगाना चाहिए। अगर सब कुछ बढ़िया है तो स्टॉक के ऊपर जाने का इंतजार करें और जैसे स्टॉक सपोर्ट जोन से ऊपर जाना प्रारंभ करें तो वहां पर खरीददारी करना चाहिए।

खरीदारी करने के बाद स्टॉक का स्टॉप लॉस सपोर्ट जॉन से एक परसेंट नीचे की कीमत लगानी चाहिए। कि सपोर्ट जोन टूट जाता है, तो स्टॉप लॉस लेकर बाहर निकलना है और अगर स्टॉक हमारे अनुमान के हिसाब से ऊपर गया, तो रजिस्टेंस जोन के पास में जाकर मुनाफा कमाना चाहिए। इस प्रकार से किसी भी स्टॉक  के सपोर्ट और रजिस्टेंस जो निकालकर शेयर मार्केट से मुनाफा बनाया जा सकता है।

अपट्रेंड और डाउनट्रेंड (UPTREND & DOWNTREND)

अपट्रेंड (UPTREND)

अपट्रेंड  जैसा कि नाम से ही पता चल रहा है कि ऊपर जाने वाली  ट्रेंड  जिसे बुलिश ट्रेंड भी कहा जाता है,

जब भी ऐसी स्थिति बनती है तो स्टॉक मैं खरीदारी चलते ही रहती है। उस स्टॉक की मांग बढ़ते ही रहती है, जिससे स्टॉक लगातार ऊपर की ओर ही जाते रहता है, थोड़ा बहुत स्टॉक में गिरावट बिकती है, उसके बाद स्टॉक फिर से नया ब्रेकआउट कर के ऊपर चला जाता है। अतः इस प्रकार से चलने वाले ट्रेंड को अपट्रेंड या तो बुलिश ट्रेंड कहा जाता है।

uptrend

 

ऊपर रिलायंस का चार्ट दिखाया गया है, जिसमें समय अवधि  चार्ट 1 दिन का है। रिलायंस का स्टॉक 900 के लेवल से अपट्रेंड  की स्थिति बनने पर लगातार ऊपर की ओर जाते गया, थोड़ा सा बिकवाली देखने के बाद फिर से खरीदारी और फिर  ब्रेक आउट करके नया लेवल बना। ऐसा करते हुए स्टॉक 900 के लेवल से 2200 के लेवल तक पहुंच गया, तो इस प्रकार से बनने वाले ट्रेंड को अपट्रेंड या  बुलिश ट्रेंड कहा जाता है।

डाउनट्रेंड (DOWNTREND)

डाउन ट्रेंड जैसा कि नाम से ही पता चल रहा है या नीचे वाली ट्रेंड है, जिसे बेयरिश ट्रेंड भी बोला जाता है।

जब भी शेयर मार्केट नीचे गिरावट की स्थिति में हो और स्टॉक में  मांग कम हो और आपूर्ति ज्यादा हो जिसकी वजह से स्टॉक में लगातार बिकवाली चल रही हो, और स्टॉक लगातार गिरावट की स्थिति में हो तो, इस प्रकार से होने वाले ट्रेंड को डाउनट्रेंड कहा जाता है या तो बेयरिश ट्रेंड कहा जाता है।downtrend

 

 

ऊपर डाबर का चार्ट दिखाया गया है जिसकी समय अवधि  चार्ट 1 दिन की है,  जिसमें डाबर का स्टॉक 650 का लेबल पहुंचने के बाद मांग कम और आपूर्ति ज्यादा हो गई। जिसकी वजह से स्टॉक में बिकवाली चलती रही और स्टॉक डाउन ट्रेंड में नीचे की ओर आते गया और स्टॉक 650 के लेवल से 500 के लेवल तक नीचे आ गया। तो इस प्रकार से डाउन ट्रेंड शेयर मार्केट में काम करता है, और जब भी ऐसा ट्रेंड बने उसी स्टॉक में खरीदारी नहीं करना चाहिए।

बेयरिश फ्लैग पैटर्न (BEARISH FLAG PATTERN)

 

ऊपर  निफ़्टी का चार्ट दिखाया गया है, जिसकी समय अवधि 3 मिनट की है, जो के इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए सेटअप तैयार किया गया है। इसमें मार्केट पूरा बेयरिश है, और गिरावट की स्थिति बनी हुई है। जहां पर स्टॉक  कंसीडिलेशन (consolidation) रहा है, निफ़्टी में आपूर्ति (SUPPLY) बढ़ने पर बिकवाली चालू हो जाती है, और DAY का लो (LOW)  ब्रेकडाउन करने के बाद, बड़ी गिरावट होती है, इस प्रकार से बेयरिश फ्लैग पैटर्न काम करता है।

 

बेयरिश फ्लैग पैटर्न उपयोग करके स्टॉक में कब खरीदारी, बिकवाली और टारगेट स्टॉप लॉस क्या होना चाहिए?

 

बेयरिश फ्लैग पैटर्न में जो  स्टॉक प्रारंभ में नीचे जाते हुए  DAY का लो (LOW)  लगाएगा। उसके बाद उसके नीचे छोटी छोटी कैंडल के साथ कंसीडिलेशन (consolidation) करता रहेगा, फिर जब  आपूर्ति (SUPPLY) बढ़ेगी और बिकवाली होने के बाद  नीचे जाना प्रारंभ करेगा, तो DAY का लो (LOW)  ब्रेकडाउन होने पर स्टॉक को  बेचेंगे, और इंट्राडे में उसका टारगेट उस स्टॉक का एक से दो परसेंट रखेंगे, जहां पर उसका स्टॉप लॉस कंसीडिलेशन (consolidation) रेंज के ऊपर जाने पर स्टॉप लॉस होना चाहिए।

 

जैसा की पहली  रेड कैंडल में निफ़्टी ने DAY का लो (LOW) 17855 लगाया, वहां पर उसका ब्रेकडाउन रेंज 17855 और जिस लेवल पर कंसीडिलेशन (consolidation) होता रहा, उस लेवल का  हाई (HIGH) 17896 तो, जैसे ही 17855 का लेवल ब्रेकडाउन हुआ, तो वहां पर बिकवाली करेंगे और 17896 का स्टॉपलॉस रखेंगे।

 

बुलिश एनगल्फिंग पैटर्न  (BULLISH ENGULFING PATTERN)

 

बुलिश एनगल्फिंग पैटर्न  (BULLISH ENGULFING PATTERN) जैसा कि नाम से ही पता चल रहा है कि, बुलिश पैटर्न है जब मार्केट डाउन ट्रेंड में होता है और वो बॉटम जहां से मार्केट रिवर्सल यानि ऊपर जाने वाला होता है, और खरीदारी  की स्थिति बनती है वहां ये पैटर्न अच्छा काम करता है दूसरा शब्द  एनगल्फिंग का हिंदी निगलना होता है तो नाम से ही पता चल रहा है, किसी को निगल जाना या खा जाना है , इस पैटर्न में दो कैंडल बनते है, उसमे पहले कैंडल को दूसरा कैंडल निगलता हुआ ही दिखता है, जिसमे पहला कैंडल एक छोटा कैंडल होता है, और दूसरा कैंडल पहले कैंडल के मुकाबले काफी बड़ा कैंडल होता है अगर नीचे जाते हुए मार्केट में निचले स्तर पर छोटी रेड कैंडल बने और उसके तुरंत बाद एक बड़ी ग्रीन कैंडल बने तो हम उसे एक अच्छा  बुलिश एनगल्फिंग पैटर्न कहेंगे । जैसा की नीचे चित्र में देख सकते है।bullish engulfing pattern

बुलिश एनगल्फिंग पैटर्न बॉटम में बनता है तो हमेशा खरीदारी के बारे में सोचना चाहिए ,बुलिश एनगल्फिंग पैटर्न बनने से पहले स्टॉक डाउन ट्रेंड में होता है ,स्टॉक के चार्ट में बॉटम पे जब  एक छोटी रियल बॉडी की रेड बेयरिश कैंडल बने जो की डाउन

बुलिश फ्लैग पैटर्न (BULLISH FLAG PATTERN)

 

बुलिश फ्लैग पैटर्न (BULLISH FLAG PATTERN) जैसे कि नाम से ही पता चल रहा है की बुलिश मतलब मार्केट ऊपर जाने के लिए तैयार है, खरीदारी की स्थिति बनेगी और फ्लैग नाम से ही पता चल रहा है, कि  मार्केट का पैटर्न फ्लैग जैसा बनेगा।bullish flag pattern

 

बुलिश फ्लैग पैटर्न में स्टॉक ओपन होने के बाद प्रारंभ में ही तेजी से ऊपर जाने लगता है, और ऊपर जाकर स्टॉक कंसीडिलेशन (consolidation) होने लगता है। स्टॉक हाई बनाने के बाद हाई के नीचे छोटी-छोटी रेड और ग्रीन कैंडल बनाकर कंसीडिलेशन  (consolidation) होता है, फिर थोड़ी देर बाद खरीदारी होने लगती है, मांग (DEMAND तेजी से बढ़ जाती है। जिसकी वजह से  स्टॉक ऊपर की ओर नया ब्रेकआउट देता है, जिसे स्टॉक ऊपर चला जाता है।

 

 

ऊपर वाले चार्ट में टाटा केमिकल का चार्ट दिखाया गया है, समय अवधि 3 मिनट का है, जो कि इंट्राडे के लिए है।  पहली कैंडल में ग्रीन स्ट्रांग बुलिश कैंडल बनाया है, उसके बाद छोटी-छोटी कैंडल में कंसीडिलेशन (consolidation) हुआ।मांग (DEMAND बढ़ने पर खरीदारी चालू हो गई, फिर स्टॉक DAY हाई के लेवल को ब्रेक आउट कर के ऊपर निकल गया, तो इस तरह से बुलिश फ्लैग पैटर्न काम करता है।

बुलिश फ्लैग पैटर्न उपयोग करके स्टॉक में कब खरीदारी, बिकवाली और टारगेट स्टॉप लॉस क्या होना चाहिए?

 

बुलिश फ्लैग पैटर्न में जो  स्टॉक प्रारंभ में ऊपर जाते हुए  DAY का हाई लगाएगा। उसके बाद उसके नीचे छोटी छोटी कैंडल के साथ कंसीडिलेशन (consolidation) करता रहेगा, फिर जब  मांग (DEMAND) बढ़ेगी और खरीदारी होने के बाद ऊपर जाना प्रारंभ करेगा तो DAY का हाई ब्रेक आउट होने पर स्टॉक को खरीदेंगे, और इंट्राडे में उसका टारगेट उस स्टॉक का एक से दो परसेंट रखेंगे, जहां पर उसका स्टॉप लॉस कंसीडिलेशन (consolidation) रेंज के नीचे जाने पर स्टॉप लॉस होना चाहिए।

जैसा की पहली ग्रीन कैंडल में स्टॉक ने DAY का हाई (HIGH) लगाया, वहां पर उसका ब्रेकआउट रेंज 1137 और जिस लेवल पर कंसीडिलेशन (consolidation) होता रहा, उस लेवल का LOW 1130 तो, जैसे ही 1137 का लेवल ब्रेक आउट हुआ, तो वहां पर खरीदारी करेंगे और 1130 का स्टॉपलॉस रखेंगे।

बेयरिश फ्लैग पैटर्न (BEARISH FLAG PATTERN)

बेयरिश फ्लैग पैटर्न (BEARISH FLAG PATTERN) जैसा कि नाम से ही पता चल रहा है कि, मार्केट  बेयरिश है, जहां पर  मार्केट नीचे जाने वाला है, और बिकवाली की स्थिति बनेगी। फ्लैग नाम से ही पता चल रहा है, कि  मार्केट का पैटर्न फ्लैग जैसा बनेगा।bearish flag pattern

बेयरिश फ्लैग पैटर्न में स्टॉक ओपन होने के बाद प्रारंभ में ही तेजी से  नीचे जाने लगता है, और नीचे जाकर स्टॉक कंसीडिलेशन (consolidation) होने लगता है। स्टॉक लो (LOW) बनाने के बाद लो (LOW के नीचे छोटी-छोटी रेड और ग्रीन कैंडल बनाकर कंसीडिलेशन  (consolidation) होता है, फिर थोड़ी देर बाद  बिकवाली होने लगती है,  आपूर्ति (SUPPLY) तेजी से बढ़ जाती है। जिसकी वजह से स्टॉक नीचे की ओर नया  ब्रेकडाउन देता है, जिसे स्टॉक नीचे चला जाता है।

 

ट्रेंड में अक्सर बनती है परन्तु उसके तुरंत बाद वाली कैंडल बड़ी रियल बॉडी की ग्रीन बुलिश कैंडल होना चाहिए जैसा की ऊपर चित्र में दिखया गया है ,इससे ये अनुमान लगाया जाता है की स्टॉक में जो ट्रेंड चल रहा था वो समाप्त हो गया है अब यहां  से स्टॉक एक अच्छा  रिवर्सल ले सकता है और हमें उस स्टॉक में खरीदारी की रडनीति बनानी चाहिए।

bullish engulfing pattern

बुलिश एनगल्फिंग पैटर्न  उपयोग करके स्टॉक में कब खरीदारी बिकवाली और टारगेट स्टॉप लॉस क्या होना चाहिए?

 

बुलिश एनगल्फिंग पैटर्न में जब स्टॉक डाउन ट्रेंड में हो और पैटर्न बन चूका हो तो, आप अगर अग्रेसिव ट्रेडर है तो जैसे ही बड़ी ग्रीन कैंडल का हाई ब्रेक करें तो आप खरीदारी कर सकते है या तो ज्यादा कन्फोर्मशन के लिए दूसरी एक और बुलिश ग्रीन कैंडल का इंतजार कर सकते है फिर उसके ऊपर खरीदारी करें  जैसा की ऊपर रिलायंस इंड्रस्ट्री के चार्ट पे दिखाया गया है और स्टॉपलॉस बड़ी कैंडल के लो का रखा जा सकता है टारगेट के लिए आप अपने रिस्क रिवॉर्ड के अनुसार या तो स्टॉक का 2 से 3 प्रतिशत रख सकते है।

 

बेयरिश एनगल्फिंग पैटर्न (BEARISH ENGULFING PATTERN)

बेयरिश एनगल्फिंग पैटर्न  (BEARISH ENGULFING PATTERN) जैसा कि नाम से ही पता चल रहा है कि, बेयरिश पैटर्न है जब मार्केट अप  ट्रेंड में होता है और वो टॉप जहां से मार्केट रिवर्सल यानि नीचे जाने वाला होता है, और बिकवाली की स्थिति बनती है वहां ये पैटर्न अच्छा काम करता है दूसरा शब्द  एनगल्फिंग का हिंदी निगलना होता है तो नाम से ही पता चल रहा है, किसी को निगल जाना या खा जाना है , इस पैटर्न में दो कैंडल बनते है, उसमे पहले कैंडल को दूसरा कैंडल निगलता हुआ ही दिखता है, जिसमे पहला कैंडल एक छोटा कैंडल होता है, और दूसरा कैंडल पहले कैंडल के मुकाबले काफी बड़ा कैंडल होता है अगर ऊपर  जाते हुए मार्केट में ऊँचे  स्तर पर छोटी ग्रीन  कैंडल बने और उसके तुरंत बाद एक बड़ी रेड  कैंडल बने तो हम उसे एक अच्छा  बेयरिश एनगल्फिंग पैटर्न कहेंगे । जैसा की नीचे चित्र में देख सकते है।

bearish engulfing pattern

 बेयरिश एनगल्फिंग पैटर्न  टॉप  में बनता है तो हमेशा बिकवाली  के बारे में सोचना चाहिए , बेयरिश एनगल्फिंग पैटर्न बनने से पहले स्टॉक अप  ट्रेंड में होता है ,स्टॉक के चार्ट में टॉप  पे जब  एक छोटी रियल बॉडी की ग्रीन बुलिश  कैंडल बने जो की अप  ट्रेंड में अक्सर बनती है परन्तु उसके तुरंत बाद वाली कैंडल बड़ी रियल बॉडी की रेड बेयरिश  कैंडल होना चाहिए। जैसा की ऊपर चित्र में दिखया गया है ,इससे ये अनुमान लगाया जाता है की स्टॉक में जो ट्रेंड चल रहा था। वो समाप्त हो गया है, अब यहां  से स्टॉक एक अच्छा डाउन जा सकता है, और हमें उस स्टॉक में बिकवाली  की रणनीति बनानी चाहिए।

bearish engulfing pattern

 बेयरिश एनगल्फिंग पैटर्न  उपयोग करके स्टॉक में कब खरीदारी, बिकवाली और टारगेट स्टॉप लॉस क्या होना चाहिए?

 

 बेयरिश एनगल्फिंग पैटर्न में जब स्टॉक अप  ट्रेंड में हो और पैटर्न बन चूका हो तो ,आप अगर अग्रेसिव ट्रेडर है तो जैसे ही बड़ी रेड  कैंडल का लो  ब्रेक करें तो, आप बिकवाली  कर सकते है या तो ज्यादा कन्फोर्मशन के लिए दूसरी एक और  बेयरिश रेड  कैंडल का इंतजार कर सकते है। फिर उसके नीचे बिकवाली  करें  जैसा की ऊपर इंडस बैंक के चार्ट पे दिखाया गया है, और स्टॉपलॉस बड़ी कैंडल के हाई  का रखा जा सकता है। टारगेट के लिए आप अपने रिस्क रिवॉर्ड के अनुसार या तो स्टॉक का 2 से 3 प्रतिशत रख सकते है।

 

बुलिश हरामी पैटर्न  (BULLISH HARAMI PATTERN)

बुलिश हरामी पैटर्न जैसा की नाम से पता चल रहा की ये स्टॉक की तेजी या बुलिश को दिखाता है, और हरामी एक अपशब्द भाषा है ,जैसा की हमने आपको बताया था की कैंडल की उत्पत्ति जापान में हुई थी , ये जापनीज कैंडलस्टिक है, तो जापनीज में हरामी का मतलब गर्भवती होता है, ये पैटर्न भी एक गर्भवती महिला के सामान होता है। इस पैटर्न में एक बड़ी रेड कैंडल होती है जिसे हम एक मदर के रूप में सोच सकते है, और दूसरी छोटी कैंडल ग्रीन बुलिश कैंडल बनती है, जिसे हम एक बच्चे के रूप में देख सकते है ,इसे आप निचे चित्र पे देख के ज्यादा अच्छे से समझ सकते है।bullish harami pattern

बुलिश हरामी पैटर्न उपयोग करके स्टॉक में कब खरीदी, बिकवाली और टारगेट स्टॉप लॉस क्या होना चाहिए?

bullish harami pattern on chart

बुलिश हरामी पैटर्न जब किसी स्टॉक में गिरावट हो रही हो तब बनता है, अगर चार्ट में ये पैटर्न बन रहा हो तो यह समझ लेना चाहिए, की उस स्टॉक में अब डाउन ट्रेंड समाप्त हो चुका है। अब हमें उस स्टॉक में खरीदारी की रणनीति बनानी चाहिए।जैसा की ऊपर चित्र में HDFC बैंक के चार्ट पे  दिखाया गया है , खरीदारी के लिए जब स्टॉक पैटर्न में बनी  ग्रीन कैंडल के हाई स्तर को ब्रेक करे तो हमें खरीदारी करनी चाहिए और स्टॉपलॉस बड़ी रेड कैंडल के लो में रख सकते है।टारगेट के लिए आप अपने रिस्क रिवॉर्ड के अनुसार या तो स्टॉक का 2 से 3 प्रतिशत रख सकते है।

 

बेयरिश हरामी पैटर्न (BEARISH HARAMI PATTERN)

बेयरिश हरामी पैटर्न जैसा की नाम से पता चल रहा बेयरिश,ये स्टॉक की मंदी  को दिखाता है, बेयरिश हरामी पैटर्न में स्टॉक अप ट्रेंड में होता है, और ऊपर पहली एक बड़ी ग्रीन कैंडल ,उसके बाद एक छोटी रेड कैंडल बनाता है जैसा की नीचे चित्र में दिखाया गया है, जिसका संकेत यह मन जाता है की यहां से स्टॉक में तेजी समाप्त हो चुकी है। अब हमें उस स्टॉक में बिकवाली की रडनीति बनानी चाहिए।bearish harami pattern

बेयरिश हरामी पैटर्न पैटर्न उपयोग करके स्टॉक में कब खरीदी, बिकवाली और टारगेट स्टॉप लॉस क्या होना चाहिए?

 

 

डबल टॉप पैटर्न  (DOUBLE TOP PATTERN)

डबल टॉप पैटर्न  (DOUBLE TOP PATTERN) जो कि एक बेयरिश रिवर्सल पैटर्न होता है, जो कि देखने में कुछ अंग्रेजी अक्षर M जैसा दिखाई देता है। M  पैटर्न सबसे ज्यादा इंट्राडे ट्रेडिंग में उपयोग किया जाता है। M पैटर्न की एक्यूरेसी लगभग 70 से 75% की होती है, जहां पर स्टॉक या  इंडेक्स M पैटर्न बनने के बाद,  ऊपर जाने में असमर्थ हो जाता है। जिसकी वजह से गिरावट देखने को मिलती है, तो आइए समझते हैं M पैटर्न किस तरह से काम करता है।double top pattern

डबल टॉप पैटर्न में स्टॉक एक बार ऊपर जाने के बाद  रेजिस्टेंस से वापस आ जाता है, और दूसरी बार नीचे से ऊपर जाता है, फिर पिछले रेजिस्टेंस लेवल से फिर से नीचे आता  है। लेकिन इस बार नीचे के लेवल में सपोर्ट पर नहीं रुक पाता है, जिसकी वजह से  नीचे साइड में ब्रेकडाउन होकर बड़ी गिरावट देखने को मिलती है।

तो इस प्रकार से डबल टॉप पैटर्न काम करता है।

double top pattern on chart

डबल टॉप पैटर्न ऊपर चार्ट में दिखाया गया है,  जो कि श्रीराम ट्रांसपोर्ट फाइनेंस का चार्ट है,  चार्ट में आप देख सकते हैं, स्टॉक एक बार ऊपर जाने के बाद रेजिस्टेंस फेस किया, और नीचे आ गया वापस से सपोर्ट लेवल से ऊपर पिछले रेजिस्टेंस लेवल तक गया। फिर से उसी लेवल से रजिस्टेंस फेस करने के बाद नीचे आ गया, लेकिन सपोर्ट पर नहीं रोक पाया और सपोर्ट लेवल ब्रेकडाउन देने के बाद गिरावट देखने को मिली।

डबल टॉप पैटर्न उपयोग करके स्टॉक में कब खरीदी, बिकवाली और टारगेट स्टॉप लॉस क्या होना चाहिए?

 

डबल टॉप पैटर्न में  दूसरी बार रजिस्टेंस से वापस आने पर जैसे ही सपोर्ट लेवल को ब्रेकडाउन करता है, तो वहां पर हम स्टॉक में बिकवाली करने के लिए जाएंगे। जहां पर हमारा  स्टॉप लॉस,  पहला और दूसरा रेजिस्टेंस लेवल रहेगा और टारगेट स्टॉप लॉस से दोगुना होना चाहिए। तो इस प्रकार से हम एक बड़ा मुनाफा कमा सकते हैं।

डबल बॉटम पैटर्न (DOUBLE BOTTOM PATTERN)

 

डबल बॉटम पैटर्न (DOUBLE BOTTOM PATTERN) जो कि एक बुलिश रिवर्सल पैटर्न होता है, जो कि देखने में कुछ अंग्रेजी अक्षर W जैसा दिखाई देता है। डबल बॉटम पैटर्न सबसे ज्यादा इंट्राडे ट्रेडिंग और स्विंग ट्रेडिंग में उपयोग किया जाता है। W पैटर्न की एक्यूरेसी लगभग 70 से 75% की होती है, जहां पर स्टॉक या  इंडेक्स W पैटर्न बनने के बाद, ऊपर जाने में आसानी हो जाता है। जिसकी वजह से स्टॉक में बुलिश ट्रेंड या तेजी देखने को  मिलता है, तो आइए समझते हैं

double bottom pattern on chart

 

डबल बॉटम पैटर्न में स्टॉक ऊपर से नीचे आने पर नीचे की ओर सपोर्ट लेकर ऊपर जाना  प्रारंभ करता है, लेकिन ऊपर की ओर रेजिस्टेंस फेस करने पर उसी लेवल से नीचे आ जाता है, फिर से जो पिछला सपोर्ट था, उस सपोर्ट से वापस से ऊपर जाता है, और ऊपर रजिस्टेंस के पास  थोड़ा सा रेजिस्टेंस फेस करके उस रेजिस्टेंस लेवल को ब्रेक आउट करके ऊपर निकल जाता है। जहां पर स्टॉक में तेजी आ जाती है, और वहां पर ब्रेक आउट होते ही उस स्टॉक में खरीदी चालू हो जाती है। इस प्रकार से डबल बॉटम पैटर्न काम करता है।

 

double bottom pattern

 

ऊपर दिखाए गए चार्ट में आईटीसी (ITC)  का 15 मिनट की कैंडल में बताया हुआ है,  जिसमें आईटीसी (ITC)  का स्टॉक ऊपर से नीचे की ओर गिरावट में होती है, और नीचे की ओर सपोर्ट से वापस ऊपर चला जाता है। रेजिस्टेंस फेस करके पिछले वाले लेवल तक वापस आ जाता है, जो कि दूसरी बार बॉटम से सपोर्ट लेकर ऊपर निकलता है, और रजिस्टेंस को ब्रेक आउट  करने के बाद बैंक निफ्टी में तेजी आ जाती है, और आईटीसी (ITC)  स्टॉक ऊपर निकल जाता है।

डबल बॉटम पैटर्न उपयोग करके स्टॉक में कब खरीदी, बिकवाली और टारगेट स्टॉप लॉस क्या होना चाहिए?

 

डबल बॉटम पैटर्न में  स्टॉक जब दूसरी बार सपोर्ट से ऊपर की ओर रेजिस्टेंस लेवल को ब्रेकआउट करता है और स्टॉक में तेजी आती है ब्रेक आउट करने के बाद स्टॉक में खरीदारी करके चलना चाहिए। जहां पर हमारा स्टॉप लॉस उस स्टॉक का सपोर्ट  लेबल रहेगा, और हमारा टारगेट  स्टॉप लॉस से दोगुना होना चाहिए। ताकि हम एक अच्छा प्रॉफिट बना पाए।

 ट्रिपल टॉप पैटर्न (TRIPLE TOP PATTERN)

 

ट्रिपल टॉप पैटर्न (TRIPLE TOP PATTERN) जो कि एक बेयरिश रिवर्सल पैटर्न होता है, जो कि डबल टॉप पेटर्न का एक एडवांस लेवल होता है। जहां पर डबल टॉप पेटर्न बनने के बाद सपोर्ट जोन पर रुक जाता है, और उस में गिरावट नहीं होती है। जिसकी वजह से एक बार फिर से रेजिस्टेंस लेवल तक तेजी देखने को मिलती है, लेकिन रेजिस्टेंस लेवल को ब्रेकआउट नहीं कर पाता है, और वापस से सपोर्ट लेवल पर आ जाता है। तीसरी बार में सपोर्ट लेवल को ब्रेकडाउन कर देता है, और उस स्टॉप में गिरावट देखने को मिलती है, तो इस प्रकार से बने हुए बेयरिश पैटर्न को ट्रिपल टॉप पैटर्न (TRIPLE TOP PATTERN) कहा जाता है।

 

ट्रिपल टॉप पैटर्न (TRIPLE TOP PATTERN) का उपयोग  इंट्राडे ट्रेड करने के लिए किया जाता है, जहां पर इसकी एक्यूरेसी लगभग 70 से 75% की होती है।

triple top pattern

triple top pattern on chart

ऊपर दिए गए चार्ट में रिलायंस का चार्ट दिखाया गया है, जो कि 5 मिनट की कैंडल में है। जहां पर रिलायंस स्टॉक नीचे गिरने के बाद ऊपर की ओर  चला जाता है, जहां पर एक रेजिस्टेंस लेवल बनाता है, और वापस नीचे आकर फिर ऊपर जाता है, और  दूसरी बार पिछले रेजिस्टेंस लेवल से ही रेजिस्टेंस फेस करने के बाद नीचे सपोर्ट लेवल पर आ जाता है, और तीसरी बार फिर से ऊपर जाता है और पिछले दो रेजिस्टेंस लेवल में रजिस्टेंस फेस करने के बाद नीचे आता है, और सपोर्ट लेवल पर नहीं रोक पाता।  जिसकी वजह से सपोर्ट लेवल से ब्रेकडाउन देने के बाद बड़ी गिरावट देखने को मिलती है। जैसा की मैंने ऊपर ही बताया हुआ है कि ट्रिपल टॉप पैटर्न, टॉप पैटर्न का एडवांस लेवल है।

ट्रिपल टॉप पैटर्न उपयोग करके स्टॉक में कब खरीदी, बिकवाली और टारगेट स्टॉप लॉस क्या होना चाहिए?

 

ट्रिपल टॉप पेटर्न में, डबल टॉप पेटर्न जैसे ही स्टॉप लॉस और टारगेट को फॉलो करना है, जब तीसरी बार स्टॉक रेजिस्टेंस फेस करने के बाद, नीचे की और आकर सपोर्ट लेवल को ब्रेकडाउन करता है, तो उस स्टॉक में बिकवाली करना चाहिए। जहां पर हमारा स्टॉप लॉस तीसरा रेजिस्टेंस लेवल के ऊपर रहेगा, और उसका टारगेट स्टॉपलॉस से दोगुना होना चाहिए। ताकि हम एक अच्छा प्रॉफिट बना पाए।

  ट्रिपल बॉटम पैटर्न (TRIPLE BOTTOM PATTERN)

 

ट्रिपल बॉटम पैटर्न (TRIPLE BOTTOM PATTERN) जो कि एक बुलिश रिवर्सल पैटर्न होता है, जो कि डबल बॉटम पैटर्न का एडवांस लेवल होता है। जब स्टॉक डबल बॉटम पैटर्न में  दूसरी बार में  रेजिस्टेंस लेवल को ब्रेकआउट नहीं कर पाता है, और रेजिस्टेंस लेवल से नीचे आ जाता है। जहां पर स्टॉक  नीचे आ जाता है और सपोर्ट लेवल से ऊपर जाने पर तीसरी बार में रेजिस्टेंस लेवल को ब्रेक आउट कर के ऊपर निकल जाता है।  जिसकी वजह से स्टॉक में तेजी आ जाती है, स्टॉक तेजी से ऊपर निकल जाता है। तो इस प्रकार से बने हुए पैटर्न को ट्रिपल बॉटम पैटर्न कहते हैं।triple bottom pattern on chart

triple bottom pattern on chart

JUBLFOOD का चार्ट ऊपर दिखाया गया है,  जिसमें स्टॉक एक बार गिरने के बाद सपोर्ट लेकर ऊपर की ओर आ जाता है, और W पैटर्न मतलब डबल बॉटम पैटर्न का फॉर्मेशन बनता है, जिसमें वह ब्रेकआउट नहीं करने पर नीचे आ जाता है, और तीसरी बार JUBLFOOD स्टॉक ब्रेकआउट कर के ऊपर निकल जाता है, जिसे ट्रिपल बॉटम पैटर्न कहते हैं।

 

ट्रिपल बॉटम पैटर्न उपयोग करके स्टॉक में कब खरीदी, बिकवाली और टारगेट स्टॉप लॉस क्या होना चाहिए?

ट्रिपल बॉटम पैटर्न (TRIPLE BOTTOM PATTERN) में डबल बॉटम पैटर्न जैसे ही फॉलो करना है, जब  तीसरी बार स्टॉक सपोर्ट लेवल से  ऊपर की ओर जाता है, और तीसरी बार में रेजिस्टेंस लेवल को ब्रेक आउट कर के ऊपर निकल जाता है। जहां पर स्टॉक में तेजी आ जाती है, तो वहां पर हमें  स्टॉक में खरीदारी करनी चाहिए। जहां पर उसका स्टॉप लॉस तीनों सपोर्ट लेवल होंगे, और उसका टारगेट स्टॉप लॉस से डबल होना चाहिए। तो इस प्रकार से ट्रिपल बॉटम पेटर्न का उपयोग करके इंट्राडे  और स्विंग ट्रेड में प्रॉफिट कमाया जा सकता है।


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