शेयर मार्केट में उपयोग किए जाने वाले टेक्निकल शब्द

शेयर मार्केट में उपयोग किए जाने वाले टेक्निकल शब्द

Table of Contents

  • BULL MARKET 
  • BEAR MARKET 
  • UPTREND OR BULLISH MARKET
  • DOWNTREND OR BEARISH MARKET 
  • RANGE BOUND OR SIDEWAYS 
  • TREND 
  • LONG POSITION 
  • SHORT POSITION
  • HIGH & 52 WEEK HIGH 
  • LOW & 52 WEEK LOW
  • ALL-TIME HIGH 
  • ALL-TIME LOW
  • UPPER CIRCUIT & LOWER CIRCUIT
  • OPENING PRICE 
  • CLOSING PRICE
  • PREVIOUS CLOSING 
  • INTRADAY TRADING 
  • AMO (AFTERMARKET ORDER)
  • BID PRICE & QUANTITY
  • ASK PRICE & QUANTITY
  • VOLUME 

 

BULL MARKET 

 

 

शेयर मार्केट में बुल मार्केट का मतलब है, की मार्केट ऊपर जाने की स्थिति में हो या तो ऊपर जा रही हो, तो वहां पर हम उसे बुल मार्केट बोलते हैं, या तो  BULLISH मार्केट बोलते हैं। जिसे मार्केट में तेजी का माहौल भी बोला जाता हैं। 

 

 

BEAR MARKET 

 

 

बियर मार्केट का मतलब है, कि मार्केट नीचे जाने की स्थिति में हो या तो मार्केट में गिरावट लगातार हो रही है, तो वहां पर हम बियर मार्केट बोलते हैं,या  तो मार्केट BEARISH हैं। जिसे मार्केट में मंदी का माहौल भी बोला जाता है,  की मार्केट अभी मंदी में हैं।

 

 

UPTREND OR BULLISH MARKET

जब भी मार्केट में लगातार बढ़ोतरी दिखाई दे, और मार्केट  ऊपर की ओर  ही बढ़ता जाए तो ऐसी स्थिति को UPTREND OR BULLISH MARKET बोला जाता हैं।

 

 

DOWNTREND OR BEARISH MARKET 

 

 

जब भी मार्केट में लगातार गिरावट दिखाई दे और मार्केट नीचे की ओर गिरता चला जाए तो ऐसी स्थिति को

 

 

DOWNTREND OR BEARISH MARKET  बोला जाता हैं।

 

 

RANGE BOUND OR SIDEWAYS 

 

 

जब भी मार्केट मैं ना  तो तेजी का माहौल हो, ना तो मंदी का माहौल हो, तो मार्केट ना ही ऊपर जा पाता है, मार्केट ना ही नीचे जा पाता है, ऐसी स्थिति में एक छोटी सी रेंज में घूमता रहता है, जिसमें ना हमें कुछ अच्छा प्रॉफिट बन पाता है, तो ऐसी स्थिति को RANGE BOUND OR SIDEWAYS बोला जाता हैं।

 

 

TREND 

 

 

यह कहावत कहा गया है शेयर मार्केट में, “ट्रेंड इज अवर फ्रेंड”   मतलब कि शेयर मार्केट में अगर आप ट्रेड करते हैं तो जो मार्केट का ट्रेंड है वह आपका फ्रेंड होना चाहिए।  तभी आप मार्केट में होने वाले तेजी या मंदी को आसानी से पहचान सकते हैं। 

 

 

TREND यह मार्केट की ताकत को दर्शाता है और मार्केट में होने वाले दिशा को पहचान करने में मदद करता है, जिसकी सहायता से हम पहचान पाते हैं, कि मार्केट BULLISH है, या BEARISH है या तो SIDEWAYS हैं। 

 

 

 

 

LONG POSITION 

 

 

लॉन्ग पोजीशन का मतलब होता है कि आप मार्केट में BULLISH है और  और कोई शेयर जो कि वह भी UPTREND की दिशा में है, तो वहां पर उस शेयर में आप खरीदारी की पोजीशन बनाएंगे, जिसे लॉन्ग पोजीशन बोला जाता है या तो मार्केट की भाषा में पोजीशन को लॉन्ग करना बोला जाता हैं।

 

 

SHORT POSITION

 

 

शॉर्ट पोजीशन का मतलब है कि आप मार्केट में BEARISH हैं, और कोई शेयर जो कि वह भी DOWNTREND की दिशा में है, तो वहां पर आप  मंदी के माहौल में शेयर को बिकवाली करेंगे, जिसे मार्केट की भाषा में पोजीशन को  शॉर्ट करना बोला जाता हैं।

 

 

HIGH & 52 WEEK HIGH 

 

 

हाई का मतलब जिस स्टॉक को हम देख रहे हैं, उस स्टॉक ने आज पूरे दिन में सबसे ज्यादा कीमत की ऊंचाई तक गया तो, उसका उस दिन का शेयर की हाई कीमत होती है,आप जानते है की एक वर्ष में औसतन 52 हफ्ते होते है इसलिए इसे 52 हफ्ते हाई कहते है  उसी तरह से 52 हफ्ते हाई का मतलब पिछले 1 साल में उस शेयर ने सबसे ऊंची कीमत लगाई। वह कीमत उसके 52 हफ्ते की हाई कीमत होती है, जिसमें यह माना जाता है कि वह शेयर तेजी का माहौल माना जाता हैं।

 

 

LOW & 52 WEEK LOW

 

 

लो का मतलब जिस स्टॉक को हम देख रहे हैं, उस स्टॉक ने आज पूरे दिन में सबसे  कम कीमत की निचले स्तर तक गया, तो उस दिन का शेयर का  लो कीमत  होती है, उसी तरह से 52 हफ्ते का लो का मतलब पिछले 1 साल में उस शेयर ने सबसे कम कीमत लगाई, वह कीमत उसके 52 हफ्ते की निचले स्तर की कीमत होती है, जिसे यह माना जाता है कि वह शेयर में मंदी का माहौल हैं।

 

 

ALL TIME HIGH 

 

 

ऑल टाइम हाई,   में  वह सभी स्टॉक आते हैं, जो नेशनल स्टॉक एक्सचेंज  या बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में रजिस्टर्ड होने के बाद से अपनी कीमत में पहली बार सबसे हाई कीमत पर ट्रेड कर रहा हो, जिससे हमें यह पता चलता है कि, वह स्टॉक अपने लेवल से सबसे ऊंची कीमत पर ट्रेड कर रहा हैं।

 

 

ALL TIME LOW

 

 

ऑल टाइम लो,  मैं वह सभी स्टॉक आते हैं, जो नेशनल स्टॉक एक्सचेंज या बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में रजिस्टर होने के बाद से अपनी कीमत में पहली बार सबसे कम कीमत पर ट्रेड कर रहा हो, जिससे हमें यह पता चलता है कि वह स्टॉक अपने लेवल से सबसे निचली कीमत पर ट्रेड कर रहा है, और उस स्टॉक में पूरा मंदी का माहौल होता हैं।

 

 

UPPER CIRCUIT & LOWER CIRCUIT

 

 

स्टॉक के व्यवहार के हिसाब से सभी  स्टॉक के लिए अपर सर्किट और लोअर सर्किट एक्सचेंज के द्वारा निर्धारित किए गए हैं, जो कि 5% 10% 15% और 20% है, जो कि अपर सर्किट में इस निर्धारित किए गए परसेंटेज से ऊपर नहीं जा सकते हैं और निर्धारित किए गए परसेंटेज से नीचे नहीं जा सकते हैं। जिन कंपनियों का परफॉर्मेंस अच्छा होता है A प्लस कंपनियां होती हैं,  उनमें 10% निर्धारित किए जाते हैं, फिर सर्किट ओपन होता है उसके बाद 15% फिर 20% पूरे दिन के लिए निर्धारित होता हैं। जहां पर ट्रेडिंग बंद कर दिया जाता है, कुछ कंपनियां ऐसी होती है जिनका परफॉरमेंस पहले से ही अच्छा नहीं होता है, तो उनके लिए पूरे दिन में 5% निर्धारित किया गया है, जो कि  5% से ऊपर नहीं जा सकती हैं, और 5% से नहीं नीचे नहीं जा सकता हैं। उदाहरण के लिए SBIN जिसकी कीमत ₹530 है, और यह A प्लस कंपनी है, तो इसका अपर सर्किट शुरुआत में 10% रहेगा, तो 10% मतलब ₹53 है, तो इस पूरे दिन में  ओपनिंग प्राइस  से ₹53 ऊपर जा सकता है,  या तो नीचे जाने की स्थिति में हुई तो ओपनिंग प्राइस से ₹53 नीचे जा सकता हैं।

 

 

OPENING PRICE 

 

 

ओपनिंग प्राइस  वह प्राइस  होता है, जहां पर सुबह 9:15 पर मार्केट ओपनिंग होने पर वह स्टॉक सुबह 9:15 पर ओपन होगा वह उसकी ओपनिंग प्राइस होती  हैं।

 

 

CLOSING PRICE

 

 

क्लोजिंग प्राइस वह प्राइस होता है जहां पर मार्केट क्लोजिंग होने पर वह स्टॉक में उस दिन की  ट्रेडिंग बंद हो जाता है, और वह उसका लास्ट ट्रेडेड प्राइज होता है, जिसे उस स्टॉक का क्लोजिंग प्राइस बोला जाता है। 

 

 

PREVIOUS CLOSING 

 

 

स्टॉक पिछले दिन ट्रेडिंग करने के बाद, कितने रुपए में  बंद हुआ था , वह प्राइस हमें प्रीवियस क्लोजिंग प्राइस से पता चलता हैं।

 

 

INTRADAY TRADING 

 

 

ट्रेडर के द्वारा किसी भी स्टॉक में  एक ही दिन खरीद कर बेच देना या तो ऊपरी स्तर में बेचकर निचले स्तर पर  खरीद कर मुनाफा कमाने को इंट्राडे ट्रेडिंग कहा जाता है। इंट्राडे ट्रेडिंग में ब्रोकर मार्जिन की सुविधा भी उपलब्ध कराता है जहां पर ट्रेड करने के लिए आप के कुल फंड का 5 गुना मार्जिन मिलता है (यह समय और ब्रोकर के साथ चेंज हो सकता है) जिसका कुछ चार्ज ब्रोकर के द्वारा किया जाता है। 

 

 

AMO (AFTER MARKET ORDER)

 

 

ब्रोकर के द्वारा  ट्रेडर के लिए AMO का सुविधा उपलब्ध होता है, जिसमें ट्रेडर मार्केट के बंद होने पर कल खरीदारी या बिकवाली के लिए, पहले से ही ऑर्डर को लगा सकता है, और मार्केट खुलने पर वह आर्डर अपने आप ही बताए अनुसार कीमत पर ब्रोकर के द्वारा लगा दिया जाता है, जिसे AMO कहा जाता हैं।

 

 

BID PRICE & QUANTITY

 

 

किसी भी स्टॉक को खरीदने के लिए कितने कीमत में और कितनी मात्रा में हमने आर्डर लगाया है, उसे  बिड प्राइस और क्वांटिटी बोला जाता हैं। 

 

 

ASK PRICE & QUANTITY

 

 

किसी भी स्टाफ को बेचने के लिए कितने कीमत में और कितनी मात्रा में हमने आर्डर लगाया है उसे आस्क प्राइस और क्वांटिटी बोला जाता हैं। 

 

 

VOLUM

 

 

किसी भी स्टॉक में पूरे दिन में जितना ट्रेडिंग खरीदारी और बिकवाली होती है, उसका टोटल वॉल्यूम बन जाता है,  जिसे वॉल्यूम के रूप में दर्शाया जाता हैं। 

 

 

TBQ & TSQ
TBQ (TOTAL BUY QUANTITY)
TSQ (TOTAL SELL QUANTITY)

 

 

 

 

TBQ टोटल खरीदी करने वाली क्वांटिटी दर्शाई जाती हैं।

 

 

TSQ टोटल बिकवाली करने वाली क्वांटिटी दर्शाई जाती हैं। 


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