सपोर्ट SUPPORT नाम से ही पता चलता है की सहारा देना, जिससे वह स्टॉक गिरना बंद हो जाए, जहां पर स्टॉक गिरावट की स्थिति में आकर रुक जाए और उस लेवल में उस स्टॉक की खरीदारी के लिए मांग बढ़ जाता है, अतः जहां से स्टॉक गिरना बंद हो जाता है, उस लेवल को सपोर्ट जोन कहते हैं।
तो आइए समझते हैं, ट्रेडिंग और इन्वेस्टमेंट दोनों में क्या फर्क होता है और साथ ही साथ ट्रेडिंग के बारे में और इन्वेस्टिंग के बारे में हम संक्षिप्त रूप से समझेंगे।
शेयर मार्केट पूरी तरह से ओपन होने के पहले Pre-Open होता हैं, जहां पर हम शेयर को खरीदने या हमारे पास होल्डिंग में पहले से हैं, तो उसे बेचने के लिए आर्डर लगा सकते हैं। जिस का निर्धारित समय सुबह 9:00 बजे से 9:08 तक होता हैं, उसके बाद 9:08 से 9:15 के बीच में ऑर्डर एग्जीक्यूशन का टाइम होता हैं, जहां पर अगर किसी ने ऑर्डर खरीदने के लिए या ऑर्डर के लिए लगाया हैं, तो आर्डर मैच होने के बाद प्रि-ओपन मार्केट में ही खरीदारी और बिकवाली हो जाती हैं।
शेयर मार्केट में एनालिसिस के लिए हम दो प्रकार का उपयोग किया जाता है, जिनके आधार पे सफलता पूर्वक निवेश किया जा सकता है। 1-फंडामेंटल एनालिसिस 2-टेक्निकल एनालिसिस
शेयर मार्केट में बुल मार्केट का मतलब है, की मार्केट ऊपर जाने की स्थिति में हो या तो ऊपर जा रही हो, तो वहां पर हम उसे बुल मार्केट बोलते हैं, या तो BULLISH मार्केट बोलते हैं। जिसे मार्केट में तेजी का माहौल भी बोला जाता हैं।
शेयर बाजार एक ऐसा बाजार होता है जहां पर शेयर खरीदे और बेचे जाते हैं, साथ ही साथ शेयर को खरीदने के बाद उस कंपनी का हम एक शेयर होल्डर बन जाते हैं मतलब कंपनी में हमारी हिस्सेदारी हो जाती हैं।
Derivative एक ऐसा इंस्ट्रूमेंट होता है जिसमें अपनी खुद की वैल्यू नहीं होती है बल्कि उसकी वैल्यू किसी Underlying Asset से प्राप्त होती है, उसे डेरिवेटिव कहा जाता है। जिस पर उसकी वैल्यू निर्भर करता है उसे Underlying Asset कहा जाता है, उदाहरण के तौर पर जैसा की पनीर की वैल्यू दूध पर निर्भर करती है इसलिए यह दूध, पनीर का Underlying Asset है। Underlying Asset मैं जैसे-जैसे बदलाव आएगा उसी तरह उसके डेरिवेटिव में भी बदलाव आएगा।